THE FACT ABOUT SHIV CHALISA LYRICS AARTI THAT NO ONE IS SUGGESTING

The Fact About shiv chalisa lyrics aarti That No One Is Suggesting

The Fact About shiv chalisa lyrics aarti That No One Is Suggesting

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शिवजी की पूजा मूर्ति तथा शिवलिंग दोनों रूपों में की जाती है शिव के गले में नाग देवता विराजमान करते हैं तथा उनके हाथों में डमरू और त्रिशूल होता है.

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

अर्थ- त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

जो यह पाठ करे मन लाई । ता पार होत है शम्भु सहाई ॥

अर्थ- हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो।

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

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जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर website ललित अनुपा॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥

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